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Thursday, October 6, 2011

खतों का सफ़र

दोस्तो,
कुछ बरसों पहले अक्सर हम दोस्तों के दरमियाँ ख़त भेज दिया करते थे. आज उन्हीं खतों की कुछ कोपियाँ मेरी पास बखूबी रखी हुई हैं. सोचता हूँ आप सब के साथ उन खतों को बांटा जाये. कच्ची उम्र के कुछ जज़्बात है, कहीं नन्हीं उम्र के बड़े अलफ़ाज़ हैं. शायद आप इन खतों की गहराई को समझ सकें. इन्हीं उम्मीदों के साथ

आपका
शाहिद "अजनबी"