' बातों ही बातों में वो होठों में ऊँगली दबाना तेरा
इक तबस्सुम के संग वो मुझसे दूर जाना तेरा
मुझको रुला रहा है, मुझको रुला रहा है '
- शाहिद
' हर दिन और हर रात अब मैं ग़म में रहता हूँ मेरी हंसी अब तेरे लवों से आती है '
- शाहिद
' आफताब के माफिक रोशन रहें आप
बहारों के दरमियाँ हर दम रहें आप
ज़िन्दगी की रानाई को क़रीब से देखें
ताउम्र यूँ ही हंसती रहें आप '
- शाहिद
' मैं रोता हूँ और रोता ही चला जाऊंगा
बस तुम सीने से लगाने की इजाजत दे दो'
- शाहिद
' इश्क़ की आग में जले हैं हम
मुहब्बत के समंदर में डूबे हैं हम
ताउम्र तुम्हीं से प्यार करते रहेंगे '
- शाहिद