ख़तो - किताबत
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Wednesday, November 19, 2014
जब मैं तुमसे मिलता हूँ
जब मैं तुमसे मिलता हूँ , तुम्हें देखता हूँ . फिर भी मुझे अपने आप पर यक़ीन नहीं होता कि मैं तुम्हारे क़रीब हूँ क्योंकि जुदाई के दिन इतने ज्यादा हो जाते हैं कि---------.
- शाहिद अजनबी
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