ख़तो - किताबत
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Tuesday, November 18, 2014
मैं तुम्हें जितना भूलना चाहता हूँ
मैं तुम्हें जितना भूलना चाहता हूँ तुम उतनी ही याद आती हो ऐसा मेरे साथ क्यूँ होता है.
- शाहिद अजनबी
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