ख़तो - किताबत
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Wednesday, July 23, 2014
फूल टांक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े में
मैं फूल टांक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े में ----------
"अनीसा"
"अनीसा आज तुम्हारी आवाज़ में एक चहक थी"
- शाहिद
14.10.01
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