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Sunday, July 27, 2014

5th Oct. 96

"5th Oct. 96" की हसीन रात को गुजरे 5 साल हो गए हैं.
यानी हमारे प्यार की 5 वीं सालगिरह पर
"मुबारकबाद" !

हाथों में मेरे नाम की चूड़ी , सर में मेरे नाम की मांग , वो प्यारा दिल जिसमें तुम्हारा शाहिद रहता है , उसे लाल चुनरी का साया , वो सूट जिसे पहनकर तुम मेरे रूम ( अपने घर ) पर आयीं थी. चोटी ऐसी , जिसमें बीच से मांग निकले ( मेरी पसंद की नहीं, जो मैं कहता था. अब बीच से मांग वाली चोटी , कोई क्रीम , कोई पाउडर , कोई काजल नहीं . उम्मीद है 5 अक्टूबर 01 की शाम से सुबह 6 अक्टूबर 01 तक तुम इस तरह रहने की जहमत उठाओगी .

अनीसा ये वही प्यार की दुनिया का दिन है जिसमें दीवानों की फेहरिस्त में एक नाम और जुड़ा था यानी अनीसा-शाहिद का .

इस दिन की अहमियत अपनी ज़िन्दगी में कभी कम न होगी.

अनीसा अल्लाह तआला से दुआ करो बार- बार आये ये दिन अपनी ज़िन्दगी में .

मैं रब से दुआ करता हूँ और तुम भी इसमें शामिल हो जाओ यानी तुम भी दुआ करो. तकयामत अपनी मुहब्बत सलामत रहे.
हम रहें न रहें !!
दुनिया शाहिद और अनीसा को दीवानों के नाम से याद करे !

तू मेरी चाह और मैं तेरी चाहत  !!!!!

- 18.09.01