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Tuesday, July 22, 2014

तुम्हारी हर बात मंजूर है

10/04/01                                                                                       - प्यार
प्यारी निकहत की प्यारी मम्मी ,
                                                 "अनीसा"
अनीसा मैं ये अक्सर सोचता हूँ कि हम दोनों को न जाने कब तक ख्वाबों ख्यालों की दुनिया में जीना होगा. न जाने ये सब कब हकीकत में बदलेगा . हम दोनों ने न जाने कितने ख्वाब बन लिए हैं- निकहत , खुशनुमा....

अनीसा आज मैं तुम्हें 17 अप्रैल 2000 के उस बदनसीब दिन के बारे में बताने जा रहा हूँ. जब मैं एक गहरे ग़म में था. मैं बुआ के साथ झाँसी जा रहा था . मैं इसीलिए उनके साथ गया था ताकि मैं तुम्हारे लिए कुछ कह सकूं . अनीसा मैं उस वक़्त हद से ज्यादा परेशान था . मेरी आँखें आंसुओं से लबरेज थीं. मैंने इस हालत में बुआ से कहा - अनीसा से कह देना कि वो मुझसे सिर्फ एक बार फोन पर बात क्र ले. मगर अनीसा उन पर मेरे आंसुओं का असर न हुआ. अनीसा यहाँ आंसू हार जाते हैं , बेबसी, बेकरारी, बेचैनी भी हार जाती है.

अनीसा मैंने कई लोगों को देखा है जिनकी शादी हुए एक अर्सा बीत चुका है. फिर भी वो एक दूसरे से दूर नहीं रह पाते . और हम दोनों तो अभी तक ठीक से मिले भी नहीं, दिल भर कर बातें ही न हुयीं.

अनीसा जब "नए दर्द" के हसीं लम्हात आँखों में आते हैं तो न जाने कैसा लगने लगता है. तुम्हें भी होता है न !

अनीसा मैंने तुमसे अपनी जैसी डायरी ( प्यार का सफ़र ) लिखने को कहा था, मगर तुम ऐसा न कर सकी . प्लीज़ जल्दी से तैयार कर लेना . मेरे लिए .

अनीसा मुझे तुम्हारी हर बात मंजूर है . आप जैसा करें , जो भी सोचें मुझे पसंद है . अनीसा मैं हर केस में तैयार हूँ. अनीसा मेरी पसंद के खिलाफ तुम कोई काम करो और फिर सोचो कि मैं, तुमसे गुस्सा हो जाऊंगा . ऐसा हरगिज न होगा . क्योंकि मुझे तुम्हारी उस चाहत से प्यार है जो तुम्हारे दिल में मेरे लिए है. जब दिल करे मुझसे मिलने चली आना . अगर तुम्हें मुहब्बत की फिक्र हो , जमाने से डर न लगे तो मैं तुमसे मिलने भांडेर आ सकता हूँ. ( इल्हाक के संग ) तुम मुझे डेट, टाइम , और जगह फोन पर बता देना. चाहो तो, वरना नहीं.

अनीसा  तुम्हें मेरी कसम तुम ये ख़त पाते ही मुझे लम्बा ही नहीं बहुत लम्बा ख़त लिख देना . मैं इंतज़ार करूंगा . तुम ऐसा करना . मेरे ही घर के पते से डालना . फ्रॉम में लिफ़ाफ़े पर लिखना , विजय , कानपुर. ये मेरा कानपुर का दोस्त है. वैसे मैं खुद ही पोस्ट ऑफिस जाकर ख़त ले लूँगा . घर पर आएगा ही नहीं . अनीसा तुम डरना नहीं . तुम्हें मेरी कसम है लिख देना. मुझे फोन करती रहा करो. मैं इंतज़ार करूंगा अब मुझे सिर्फ दो एग्जाम देने हैं. एक 13 मई झाँसी और एक 17, 18, 19 मई झांसी .

"आसमा और आयशा बाजी के देवर की शादी में जाओ तो अनीसा मुझे इन्फॉर्म करना . बुआ जी कोंच आयें तो आने की कोशिश करना. क्योंकि अनीसा हम दोनों के पास अब यही बहाने हैं मिलने के लिए . क्योंकि पापा अब शायद ही मुझे भांडेर भेजें . अनीसा मैंने पापा का विश्वास पाने के लिए क्या-क्या न किया. 17.02.01 को पापा ने कहा आज ही भांडेर से वापिस आ जाना . अगर मैं चाहता तो क्या मैं नहीं रुक सकता था. बिलकुल रुक सकता था. मेरे पास ढेरों बहाने थे. मगर विश्वास के लिए न किया ऐसा".

"मुहब्बत वो अनोखा फूल है जो हर एक की दिल की बगिया में नहीं खिलता"

अनीसा मैंने अपने बनते-बनते कैरियर को बिखेर दिया. मगर तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारे लिए. लेकिन तुम ऐसा मत सोचो कि मैंने तुम्हें अपने कैरियर का अहसास दिलाने के लिए लिखा है. ऐसा बिलकुल नहीं है. ये कैरियर क्या अनीसा , मैं खुद को फ़ना कर सकता हूँ तुम्हारे लिए.

"अनीसा तुमसे आरजू है कि मुझे हमेशा वफाओं में रखना" . बेवफा का साया तक न आने देना . किसी बात की फिक्र मत करना .
"बस इतना याद रखना मैं तुम्हारा हूँ मगर तुम भी हमारी हो" याद रखोगी न !

इंतज़ार, इंतज़ार बस मिलने का इंतज़ार !

बाय ! बाय !

आपका प्यार
शाहिद

मैं तुम्हें 9 जून 01 को 12:00 - 1:00 के बीच में फोन करूंगा. तुम ज्योति के यहाँ मिलना [12:30 के करीब]