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Thursday, July 3, 2014

वक़्त आ गया

अनीसा अब वो वक़्त आ गया है कि तुम्हें मम्मी जी और पापा जी से कहाँ होगा कि मैं शाहिद से ही शादी करूंगी . लेकिन गर तुम्हें कहीं से 'न' कहती हुयी आवाज़ सुनाई दे तो तुम मत कहना. क्योंकि अनीसा दिल की आवाज़ हमेशा सच होती है. हमें और तुम्हें अपने दिल की सुनना है  जो दिल कहे वही करना है. अनीसा इस शाहिद की कीमात ही क्या है ? कोई कीमत नहीं.

अनीसा तुम्हें एक बार क्या अगर हजारहा बार इस शाहिद को कुर्बान करना पड़े तो कुर्बान कर देना. जो मुझमें और तुम में है वो एक ऐसी शै है कि ये जिन दोनों के बीच होती है उन दोनों की कीमत नहीं होती. मगर इसकी अपनी खुद की यानी मुहब्बत की कीमत होती है.

इसलिए अनीसा मेरी तुमसे आरजू है कि चाहे हम दोनों को खुद को फ़ना करना पड़े या तुम्हें मुझसे जुदा होना पड़े तो तुम जुदा हो जाना लेकिन इस मुहब्बत को जिंदा बनाये रखना. क्योंकि गर अनीसा मुहब्बत ख़त्म हुयी तो मुहब्बत परस्तों का मुहब्बत से ऐतवार उठ जायेगा और लोग मुहब्बत को झूठा कहेंगे जो कि हम प्रेमी नहीं चाहते , कभी नहीं .

- 'शाहिद'
15/01/01