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Wednesday, August 20, 2014

प्यार से लबालब उन शामों की कसम

कसम खाओ अनीसा तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगी जिससे तुम्हें दुःख पहुंचे , मुझे दुःख पहुंचे और खुसूसन अपने प्यार को ग़म पहुंचे.
अनीसा मुहब्बत से लबरेज तुम्हें उन रातों की कसम जब मेरा चेहरा तुम्हारे हाथों में होता था और हम दोनों अपनी एक अलग दुनिया में खोये हुए होते थे.

अनीसा उल्फत से भरी हुयी उन तपती दोपहरों की कसम जब हम दोनों सब कुछ भूलकर , एक दूसरे को देखने और एक दूसरे का झूठा खाने में, उन दोपहरों को गुजार देते थे.

अनीसा प्यार से लबालब उन शामों की कसम जब हम दोनों अपनी ज़िन्दगी के हिस्से को छोड़कर , आने वाले कल निकहत और इमरोज़ के बारे में बातें किया करते थे.

- 5th Nov. 04