Followers

Wednesday, August 6, 2014

वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो

अनीसा, आज मैंने तुम्हारे फोन का बहुत इंतज़ार किया. मगर फिर भी तुम्हारी आवाज़ न सुन सका. कल मेरा Exam है और पढने में मन नहीं लग रहा है. 3 बज चुके हैं , अब तुम्हारा फोन आएगा , ये उम्मीद अब टूटती जा रही है.

आज पूरी रात ख्वाबों में तुम्हारे साथ रहा. इसलिए इंतज़ार में और इजाफा हो गया.

पढ़ना तो है ही इसलिए ग़म दूर करने के लिए सोचा ग़ज़ल की शायरी सुनूँ जैसे ही Walkman On किया अनीसा ये एक इत्तेफाक ही है कि-

मुझे ये अल्फाज सुनने को मिले-

वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो
ख्वाब पूरा जो न हो वो न दिखाना मुझको.

- 27.01.02 ( 3:00 pm)