ख़तो - किताबत
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Tuesday, August 19, 2014
चन्द लम्हों के लिए
अनीसा, आज मुहर्रम की वही 10 तारीख है जब 5 साल पहले आज के दिन हम साथ थे. अनीसा तुम्हें याद होगा , छत पर चन्द लम्हों के लिए तुम्हारी गोद में लेटकर मैंने तुमसे प्यार किया था. आया न याद . काश तुम मेरे साथ होतीं इस वक़्त.
26.03.02
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