अनीसा तुम इतना प्यारा ख़त लिखती हो कि उसे पढ़कर मेरा सारा गुस्सा काफूर हो जाता है . पता है अनीसा मुझे तुम पर इतना गुस्सा आ रहा था कि पूछो मत . क्योंकि अब मुझे डर है मेरे बताने पर शायद तुम नाराज हो जाओ.
अनीसा, मैं सोच रहा था कि - एक बार तुम्हारा फोन तो आ जाये फिर अपना सारा गुस्सा तुम पर उतार दूँ. मगर तुम्हार फोन आने से पहले ही मेरे पास तुम्हार ख़त आ गया.
जब मैं बुआ जी को छोड़ने जा रहा था तो अपने आप पर तो गुस्सा आ ही रहा था , क्योंकि तुम्हारे पास आने का प्लान बनते-बनते बिगड़ गया था और मैं नाराज़ होकर घर से आया था . मगर अपने से ज्यादा तुम पर गुस्सा आ रहा था . उस वक़्त मैं सोच रहा था- प्यार एक झूठ है , धोखा है , फरेब है और सोचा घर जाकर इस पर एक नज़्म लिखूंगा . लेकिन फिर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया और पूरे दिन घर नहीं आया और अगले दिन मेरठ आ गया. !
- 27.04.02
अनीसा, मैं सोच रहा था कि - एक बार तुम्हारा फोन तो आ जाये फिर अपना सारा गुस्सा तुम पर उतार दूँ. मगर तुम्हार फोन आने से पहले ही मेरे पास तुम्हार ख़त आ गया.
जब मैं बुआ जी को छोड़ने जा रहा था तो अपने आप पर तो गुस्सा आ ही रहा था , क्योंकि तुम्हारे पास आने का प्लान बनते-बनते बिगड़ गया था और मैं नाराज़ होकर घर से आया था . मगर अपने से ज्यादा तुम पर गुस्सा आ रहा था . उस वक़्त मैं सोच रहा था- प्यार एक झूठ है , धोखा है , फरेब है और सोचा घर जाकर इस पर एक नज़्म लिखूंगा . लेकिन फिर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया और पूरे दिन घर नहीं आया और अगले दिन मेरठ आ गया. !
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