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Tuesday, August 19, 2014

आंख नशीली

अनीसा 10 Nov.  01 की वो हसीं रात का मंज़र अपनी आँखों में लाकर , मेरी ये ग़ज़ल पढ़ना . मैंने खुसूसन उस रात के लिए ये ग़ज़ल लिखी है. आज ही लिखी. मुझे  ख़त में तो बताना ही मगर फोन पर बताना न भूलना कि ये ग़ज़ल तुम्हें कैसी लगी. !
आंख नशीली -----------27.03.02