अनीसा 10 Nov. 01 की वो हसीं रात का मंज़र अपनी आँखों में लाकर , मेरी ये ग़ज़ल पढ़ना . मैंने खुसूसन उस रात के लिए ये ग़ज़ल लिखी है. आज ही लिखी. मुझे ख़त में तो बताना ही मगर फोन पर बताना न भूलना कि ये ग़ज़ल तुम्हें कैसी लगी. !
आंख नशीली -----------27.03.02
आंख नशीली -----------27.03.02