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Wednesday, August 20, 2014

उस वक़्त मेरे पास सिर्फ ख़ुशी थी

अनीसा, रात जब घड़ी ने 12 बजाये , उस वक़्त मेरे पास सिर्फ ख़ुशी थी. यूँ तो साढ़े दस बजे ही नींद आने लगी थी. मगर यार सोचा तुम मेरा इंतज़ार करोगी. इसीलिए कुछ और करने लगा. उस वक़्त क्या बेकरारी थी , अनीसा बताया नहीं जा सकता . यहाँ मैं बेक़रार और वहां तुम बेचैन. 

बस फिर क्या था, हम दोनों ने फोन पर एक ऐसा सफ़र तय किया . जो हमेशा - हमेशा याद रखा जायेगा . पिछले सात सालों में कभी ऐसा नहीं हुआ. आज हम दोनों ने फोन पर एक दूसरे को बोसा किया. काश हम आमने-सामने होते . खैर ! ये क्या कम है जो हम दोनों इतने इत्मीनान से बात कर ले रहे हैं. 

25th May. 03