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Wednesday, August 6, 2014

रब का लाख-लाख शुक्र है

हाय अनीसा तुम कितनी प्यारी हो, आज हम दोनों एक दूसरे से कितने दूर थे. मगर फिर भी हम दोनों एक दूसरे की आवाज़ सुनने में कामयाब रहे. 

अनीसा जब से तुमसे मिल कर आया हूँ , एक डर सा रहता है दिल में , लेकिन आज उस डर में कुछ कमी हुयी. मेरी प्यारी-प्यारी अनीसा तुम पर इतना प्यार आ रहा है इस वक़्त , गर तुम इस वक़्त मेरे पास होती तो बस मेरी बांहों में तुम्हारा मासूम सा खूबसूरत चेहरा होता. अनीसा क्या लिखूं?  मारे ख़ुशी के मेरी कलम भी नशे में झूम रही है. 

अनीसा , तुमने महसूस किया होगा , मैंने भी महसूस किया है कि अपने प्यार में अब वो बात आ गयी है. जिससे हमें और तुम्हें एक दूसरे की दिल की बातें मालूम हो जाती हैं. आज सुबह से ही दिल में था कि तुम्हारा फोन आएगा . अनीसा रब का लाख-लाख शुक्र है जो हम पर इतना महरबान है . बस इसी तरह ताउम्र उसकी रहमतें और बरकतें बरसती रहें. और अपना प्यार गहरा और गहरा होता जाए. 

- 02/12/01

मेरठ