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Wednesday, August 20, 2014

ख़ुशी में हम दोनों शामिल तो हो गए.

सच में अनीसा, आज बेहद ख़ुशी हुई . पहली बार ऐसा शब्द सुना. बहुत-बहुत अच्छा लगा. जब तुम्हारी सहेली सीमा ने कहा - जीजा जी वाक़ई ये शब्द दिल की गहराईयों तक गया .

अनीसा हम दोनों की किस्मत में था एक दूसरे की आवाज़ सुनना और रब को भी मंजूर था आज.

जब मैं अपने दोस्त को देखने हॉस्पिटल जा रहा था. तो मैं सोच रहा था कि 5 बजे तक हर हाल में आ जाऊंगा. मगर वहां रुकना गया. मुझे बड़ा अजीब सा होने लगा. लगा जैसे आज बात नहीं हो पाएगी क्योंकि वो हॉस्पिटल मेरे हॉस्टल से 10 किमी. दूर था, बिना गाड़ी आना भी मुश्किल था. अचानक मेरे दिमाग में Idea आया . और मेरी तुमसे बात हो गयी. मगर आसपास के लोगों की वजह से जितना चाहता था उतनी बात न हो सकी . खैर ! ख़ुशी में हम दोनों शामिल तो हो गए. यही क्या कम है . अल्लाह तआला का शुक्र है. 

09.06.02