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Wednesday, August 6, 2014

मुहब्बत से लबरेज आवाज़

पिछले 4 Sunday से तुम मुझे फोन कर रही हो, मगर फिर भी हम दोनों बात न कर सके. शायद किस्मत में नहीं था. 

आज तुम्हें मुझ पर बहुत गुस्सा आया होगा , अनीसा आना भी चाहिए क्योंकि मेरा दिल ये जानता था कि आज तुम्हारा फोन आएगा . मगर फिर भी तुम्हारे फोन को Attend न कर पाया. अनीसा कुछ मजबूरियां थीं, बस इतना ही कहूँगा. 

अब रब से यही दुआ करता हूँ कि अगले Sunday को तुम्हारी मुहब्बत से लबरेज आवाज़ सुन सकूं. 

- शाहिद
20.01.02